पृथ्वी की धुरी में बदलाव: एक चिंताजनक अध्ययन

 पृथ्वी की धुरी में बदलाव: एक चिंताजनक अध्ययन




हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भारत में भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण पृथ्वी की धुरी में बदलाव हो रहा है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि 1993 से 2010 के बीच पृथ्वी की धुरी लगभग 80 सेंटीमीटर तक खिसक गई है, जिसका मुख्य कारण भूजल का निष्कर्षण है।


अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:

धुरी में बदलाव: भूजल निष्कर्षण के कारण पृथ्वी की धुरी 80 सेंटीमीटर तक खिसक गई है।

जल स्तर में वृद्धि: इस अवधि में लगभग 2,150 गीगाटन भूजल निकाला गया, जिससे समुद्र के स्तर में 6 मिलीमीटर से अधिक की वृद्धि हुई।

कारण: भूजल का अत्यधिक दोहन, विशेषकर उत्तर-पश्चिमी भारत में, धुरी में बदलाव का मुख्य कारण है।

प्रभाव: ध्रुवीय विस्थापन का जलवायु पर प्रभाव पड़ सकता है।


भूजल निष्कर्षण के अन्य प्रभाव:

जल स्तर में कमी: भूजल के अत्यधिक दोहन से जल स्तर में कमी आ रही है, जिससे पानी की उपलब्धता घट रही है।

समुद्री जल का प्रवेश: तटीय क्षेत्रों में समुद्री जल का प्रवेश बढ़ रहा है, जिससे मीठे पानी के संसाधन दूषित हो रहे हैं।

पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव: झीलों और नदियों में पानी का स्तर कम हो रहा है, जिससे पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो रहा है।


निष्कर्ष:

यह अध्ययन भूजल के सतत प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर देता है। यदि भूजल का दोहन इसी तरह जारी रहा, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जल संरक्षण उपायों को अपनाना और भूजल के उपयोग को नियंत्रित करना आवश्यक है।


कुछ अतिरिक्त बिंदु जो ध्यान देने योग्य हैं:


- जल संचयन और जल पुनर्भरण प्रणालियों को बढ़ावा देना आवश्यक है।

- भूजल के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए नीतियों और नियमों को सख्ती से लागू करना होगा।

- लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके महत्व को समझाना आवश्यक है।



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