जन गण मन: भारत का राष्ट्रीय गान
जन गण मन: भारत का राष्ट्रीय गान
जन गण मन भारत का राष्ट्रीय गान है, जिसे रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। यह गान भारत की एकता, विविधता और राष्ट्रीय गौरव को दर्शाता है।आइए इसके पद और उनके अर्थ समझते हैं तथा इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की चर्चा करते हैंI
पहला पद:-
- जन गण मन अधिनायक जय हे - सभी लोगों के मन के उस अधिनायक की जय हो
- भारत भाग्य विधाता - जो भारत के भाग्यविधाता हैं
- पंजाब, सिंधु, गुजरात, मराठा - पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा के लोग
- द्राविड़, उत्कल, बंग - द्रविड़, उत्कल, बंगाल के लोग
अर्थ: सभी लोगों के मन के उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्यविधाता हैं और जिसे पूरे देश के लोग सम्मान करते हैं। यह पद भारत की विभिन्न जातियों, भाषाओं और क्षेत्रों की एकता को दर्शाता है।
दूसरा पद:-
- विंध्य, हिमाचल, यमुना, गंगा - विंध्य और हिमालय पर्वत, यमुना और गंगा नदियां
- उच्छल जलधि तरंगा - और समुद्र की उठती लहरें
- तव शुभ नामे जागे - सब तेरे पवित्र नाम पर जाग उठती हैं
- तव शुभ आशीष मांगे - सब तेरी पवित्र आशीर्वाद पाने की कामना करती हैं
- गाहे तव जय गाथा - सब तेरे ही जयगाथाओं का गान करते हैं
अर्थ: देश की प्राकृतिक सुंदरता और नदियों की महिमा का वर्णन करते हुए, सभी लोग अपने नेता की जय की घोषणा करते हैं और उनकी आशीर्वाद पाने की कामना करते हैं। यह पद भारत की प्राकृतिक सुंदरता और उसकी विरासत को दर्शाता है।
तीसरा पद:-
जन गण मंगलदायक जय हे - जनगण के मंगल दायक की जय हो
- भारत भाग्य विधाता - हे भारत के भाग्यविधाता
- जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे - आपकी विजय हो, विजय हो, विजय हो, हमेशा आपकी जय हो
अर्थ: जनगण के मंगल दायक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता, आपकी विजय हो, विजय हो, विजय हो, हमेशा आपकी जय हो। यह पद देश के नेता की जय का गुणगान करता है और उनके नेतृत्व में देश की उन्नति की कामना करता है।
राष्ट्रगान का इतिहास:-
- रचना: रवींद्रनाथ टैगोर ने 1911 में इसे बंगाली भाषा में लिखा था। यह मूल रूप से "भारत भाग्य विधाता" नामक एक भजन का पहला छंद था।
- पहला गायन: 1911 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में इसे पहली बार गाया गया था।
- राष्ट्रीय गान घोषित: 24 जनवरी, 1950 को इसे भारत का राष्ट्रीय गान घोषित किया गया।
राष्ट्रगान का महत्व-
राष्ट्रगान भारत के लोगों के लिए राष्ट्रीय एकता और गौरव का प्रतीक है। यह हमें देश के प्रति समर्पण और निष्ठा की भावना जगाता है। जब हम राष्ट्रगान गाते हैं, तो हम अपने देश की विरासत और संस्कृति को याद करते हैं और देश की उन्नति के लिए प्रार्थना करते हैं।
संक्षेप में, राष्ट्रगान भारत के लोगों को एकजुट करता है, देश की विरासत और प्राकृतिक सुंदरता का गुणगान करता है, और देश के नेता के नेतृत्व में देश की उन्नति की कामना करता है।
क्या आप राष्ट्रगान के बारे में कुछ और जानना चाहते हैं?
कुछ रोचक तथ्य:-
- राष्ट्रगान को गाने में लगभग 52 सेकंड लगते हैं।
- राष्ट्रगान को गाते समय खड़े होना अनिवार्य है और इसका सम्मान करना चाहिए।
- राष्ट्रगान को विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है, लेकिन मूल भावना एक ही रहती है।
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